बच्चों की ‘अपार’ आईडी न बनाने वाले मदरसों पर सख्त कार्रवाई का खतरा, मान्यता रद्द होने की संभावना

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में 38 मदरसों की मान्यता पर संकट मंडरा रहा है। इन मदरसों ने बच्चों की ‘अपार’ आईडी बनाने में ढिलाई बरती है, जो अब उनके लिए मुश्किल का सबब बन सकती है। यह आईडी सभी मदरसों के लिए अनिवार्य है, और इसे न बनवाने की स्थिति में प्रशासन ने सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है।

प्रशासन ने दी कड़ी चेतावनी

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बालेंदु द्विवेदी ने जानकारी दी कि पूरे प्रदेश में ‘अपार’ आईडी बनाने का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। उन्होंने बताया कि रमजान के दौरान कुछ मदरसे बंद रहते हैं, जिसके चलते इस प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई है। फिर भी, इन मदरसों को कई बार मौखिक रूप से आगाह किया जा चुका है। अब 38 ऐसे मदरसों को अंतिम चेतावनी दी गई है, जो इस काम में लापरवाही बरत रहे हैं। अधिकारी ने साफ कहा कि अगर तय समय में यह काम पूरा नहीं हुआ, तो नोटिस जारी होगी और मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी हो सकती है।

‘अपार’ आईडी क्या है और क्यों है जरूरी?

‘अपार’ आईडी योजना केंद्र सरकार की एक खास पहल है, जिसका मकसद ‘एक राष्ट्र, एक विद्यार्थी’ की सोच को साकार करना है। इसके तहत प्री-प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक के सभी छात्रों की एक विशिष्ट आईडी बनाई जानी है। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी के मुताबिक, इस योजना को लागू करने के लिए जिले में जनवरी से काम शुरू हो चुका है। एक महीने पहले हुई समीक्षा में निजी और सरकारी स्कूलों को भी चेतावनी दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने प्रक्रिया में तेजी दिखाई। लेकिन मदरसों की ओर से इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई, जिसके चलते अब सख्ती बरती जा रही है।

मदरसों ने दिखाई सुस्ती, अब तेजी की उम्मीद

चेतावनी मिलने के बाद अब मदरसा प्रबंधकों ने ‘अपार’ आईडी बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का भरोसा दिया है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने और शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए जरूरी है। अगर समय रहते यह काम पूरा हो जाता है, तो मदरसे इस संकट से बच सकते हैं।

निष्कर्ष

बाराबंकी के इन 38 मदरसों के सामने अब अपनी मान्यता बचाने की चुनौती है। प्रशासन की सख्ती और समय सीमा को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि ये मदरसे कितनी जल्दी इस दिशा में कदम उठाते हैं। ‘अपार’ आईडी योजना न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि हर छात्र को एक नई पहचान भी देगी। आपको बता दें की यह न्यूज़ सोर्स नवभारत टाइम्स से लिया गया गया हैं।

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